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लहसुन की कीमत

लहसुन की कीमतों में आए उछाल की क्या वजह है ?

लहसुन की कीमतों में आए उछाल की क्या वजह है ?

लहसुन की कीमतों में अचानक से काफी उछाल आया है। भुवनेश्वर की मंडी में तो कीमत 400 रुपये प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गई थी। लहसुन की फसल बर्बाद होने से यह हो रहा है। इस माह भाव कम होने की संभावना है।

आम जनता को महंगाई की काफी मार सहन करनी पड़ रही है। समस्त चीजों में खूब महंगाई बढ़ी है और वहीं खाने की चीजों की बात की करें तो इसमें भी बेहद इजाफा हुआ है। घरों में जो सब्जियां तैयार की जाती हैं, उनमें स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन आवश्यक होता है। परंतु, वर्तमान में देखा जाए तो लहसुन की कीमतें भी आसमान को छू रहे हैं। लहसुन ₹400 किलो तक की कीमत तक पहुँच चुका है। 

आखिर किस वजह से लहसुन की कीमतें बढ़ रही हैं ?

बीते कुछ सप्ताह की बात करें तो लहसुन की कीमतों में प्रचंड तेजी से इजाफा हुआ है। भुवनेश्वर की मंडी में तो कीमत 400 रुपये प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गए थी। दरअसल, लहसुन की कीमत बढ़ने के पीछे जो अहम वजह है। वह लहसुन की फसल का खराब होना है। विभिन्न राज्यों में बेकार मौसम की वजह से लहसुन की फसलें बर्बाद हुई हैं। इसके चलते कीमतों में काफी उछाल देखा गया है। फसल खराब होने के चलते दूसरी फसल की रोपाई में समय लगेगा। इस वजह से लहसुन की नई उपज की आवक में देरी है, जिसके चलते कीमतें बढ़ रही हैं। 

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मध्य प्रदेश में कीमतें कब कम होंगी ?

मध्य प्रदेश में लहसुन की सर्वाधिक खेती की जाती है। परंतु, मौसम की मार की वजह से फसल काफी प्रभावित हुई है, जिसकी वजह से नई फसल आने में काफी विलंब हो रहा है। जैसे ही बाजार में लहसुन की नई फसल आ जाती है। लहसुन की कीमतों में गिरावट आऐगी। मंडी व्यापारियों के मुताबिक, खरीफ लहसुन के आने के पश्चात कीमत अत्यंत कम हो जाऐगी। मतलब कि फरवरी के माह में लहसुन की कीमतों के कम होने की संभावना है। 

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

इस वजह से लहसुन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल

आजकल सब्जी, मसाले और अनाजों की कीमतें सातवें आसमान पर हैं। विगत वर्ष लहसुन का अच्छा-खासा उत्पादन हुआ था। इसकी वजह से होलसेल मार्केट में इसकी काफी कीमत गिर गई। ऐसी स्थिति में किसान फसल पर किया गया खर्चा तक भी नहीं निकाल पाए। भारत में महंगाई बिल्कुल भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। टमाटर की भाँति वर्तमान में भी लहसुन का भाव 170 रुपये किलो के पार ही है। बहुत सारे शहरों में तो इसकी कीमत 180 रुपये किलो के आसपास पहुंच चुकी है। पटना में अभी एक किलो लहसुन का भाव 172 रुपये है। साथ ही, कोलकता में यह 178 रुपये किलो बिक्रय किया रहा है। जबकि, तीन से चार महीने पहले यह बेहद सस्ता था। मार्च महीने तक रिटेल बाजार में यह 60 से 80 रुपये किलो बिक रहा था। परंतु, मानसून के दस्तक देने के साथ ही इसके दाम भी महंगे हो गए।

उत्तर प्रदेश इतने प्रतिशत लहसुन की पैदावार करता है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मध्य प्रदेश के पश्चात राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती होती है। ये तीनों राज्य मिलकर 85 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करते हैं। राजस्थान 16.81 प्रतिशत लहसुन का उत्पादन करता है, जबकि उत्तर प्रदेश की भागीदारी 6.57 फीसद है।

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मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है

लहसुन के व्यापारियों के मुताबिक, मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक राज्य है। यहां का मौसम एवं मिट्टी लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल उत्पादित लहसुन में मध्य प्रदेश की भागीदारी 62.85 प्रतिशत है। परंतु, पिछले साल समुचित भाव न मिलने की वजह से लहसुन उत्पादक किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा। बहुत सारे किसान कर्ज में डूब गए है। ऐसी स्थिति में किसानों ने इस वर्ष लहसुन की खेती करना कम किया, जिससे तकरीबन 50 प्रतिशत लहसुन का रकबा कम हो गया। ऐसी स्थिति में मांग के हिसाब से बाजार में लहसुन की आपूर्ति नहीं हो पाई। इसकी वजह से अचानक कीमतें बढ़ गईं।

मध्य प्रदेश अन्य राज्यों में भी लहसुन की आपूर्ति करता है

बतादें कि संपूर्ण भारत में मध्य प्रदेश से लहसुन की सप्लाई होती है। यहां से दक्षिण भारत, दिल्ली और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में लहसुन की सप्लाई की जाती है। नतीजतन, मध्य प्रदेश की मंडियों में लहुसन महंगे होने की वजह से दूसरे राज्यों में भी इसकी कीमतें बढ़ गईं। साथ ही, रतलाम जनपद के लहसुन उत्पादकों का कहना है, कि किसानों ने विगत वर्ष हुई हानि की वजह से लहसुन की खेती आधी कर दी थी। परंतु, इस बार की कीमतों को ध्यान में रखते हुए पुनः रकबे में इजाफा करेंगे। ऐसे में आशा है, कि लहसुन की नवीन फसल आने के बाद कीमतों गिरावट शुरू हो जाएगी।
लहसुन की पैदावार कितनी समयावधि में प्राप्त की जा सकती है

लहसुन की पैदावार कितनी समयावधि में प्राप्त की जा सकती है

किसान भाई अपने घर के अंदर ही बड़ी सहजता से लहसुन का उत्पादन कर सकते हैं। यह लगभग आठ महीने में तैयार हो जाता है। लहसुन एक ऐसा मसाला है, जो किसी भी व्यंजन के स्वाद और जायके को सुगमता से बढ़ा सकता है। साथ ही, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लहसुन का महत्व किसी से छिपा नहीं है। आयुर्वेद में लहसुन को सौ मर्ज की एक औषधी बताया गया है। घर की थाली में यदि आप ताजा लहसुन को शम्मिलित करना चाहते हैं, तो इसे अपने घर में उगा सकते हैं। इसके लिए कुछ बातों का खास ख्याल रखना जरूरी है। कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप घर में उगे लहसुन का लुफ्त उठा सकते हैं।

किसान भाई बेहतर गुणवत्ता वाले लहसुन का ही चयन करें

अगर आप अपने घर के अंदर लहसुन उगाने की योजना तैयार कर रहे हैं, तो सदैव सुनिश्चित करें कि आप बेहतरीन गुणवत्ता वाले लहसुन को ही चुनें। इससे उत्पादन काफी अच्छा होगा। मजबूत और बेदाग बड़ी कलियां चुनें, जिससे कि बेहतरीन गुणवत्ता वाला लहसुन उगाने में सहायता मिलेगी।

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लहसुन उत्पादन के लिए मृदा कैसी होनी चाहिए

घर में लहसुन उगाना सुगम नहीं होता है। इसके लिए मृदा की पीएच वैल्यू 7.0 के आसपास ही रहनी चाहिए। मृदा अत्यधिक अम्लीय अथवा क्षारीय नहीं होनी चाहिए। मृदा में खाद के साथ गोबर मिलाना फायदेमंद रहेगा। मृदा की आधी मात्रा के बराबर गोबर मिलादें। ज्यादा नाइट्रोजन वाले उर्वरक पौध को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

लहसुन की फसल में कार्बनिक खाद का उपयोग लाभकारी

लहसुन की फसल आठ माह के अंदर पककर तैयार होती है। तब पत्तियां हरा रंग छोड़कर पीली पड़ने लगती हैं। लहसुन की फसल के लिए कार्बनिक खाद का इस्तेमाल अधिक अच्छा माना जाता है।

लहसुन का पौधरोपण इस प्रकार करें

लहसुन की कली को बड़ी ही सावधानी से निकालें। परतदार छिलके को बिल्कुल न हटाएं। कलियां अलग करते वक्त आप कंद को नुकसान न पहुंचाएं। बड़ी कली लगाना सबसे बेहतर होता है, जिसमें छोटे अंकुर दिखाई पड़ते हैं। रोपण के लिए पंक्तियों के मध्य 6 इंच की दूरी होनी चाहिए। रोपण के उपरांत सीमित मात्रा में ही पानी डालें साथ ही कली को मृदा से ढक दें।
लहसुन की इन पांच किस्मों की बुवाई करके आप भी ले सकते है बेहतर उपज

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लहसुन की खेती करके किसानों को कम समय में अधिक पैसा मिल सकता है। लहसुन की फसल से ही किसान आसानी से दस से पंद्रह लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। लेकिन लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जाननी चाहिए। वास्तव में, लहसुन की खेती न तो अधिक गर्म न तो अधिक ठंडा सीजन में की जाती है। कुल मिलाकर, अक्टूबर-नवंबर का महीना लहसुन के लिए सबसे अच्छा है क्योंकि इस महीने में कम ठंड और कम गर्मी है। अगर आप भी लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो आपको को ये भी पता होना जरुरी है कि किन किस्मों की बुवाई करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है। यहां हम आपको लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्मों की जानकारी देंगे जो की अधिक पैदावार देती है।

लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्में कितनी पैदावार देती है 

किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बता दी की लहसुन की ये टॉप पांच उन्नत किस्में 140-170 दिनों में तैयार हो जाती हैं, और साथ ही 125-200 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम हैं। बता दें कि लहसुन की इन पांच उन्नत किस्मों का नाम यमुना सफेद-2 (जी-50), टाइप 56-4 किस्म, जी 282 किस्म, सोलन किस्म और एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) है। आइए अब इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते है।

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लहसुन की टॉप पांच उन्नत किस्में

यमुना सफेद-2 (जी-50)-  लहसुन की इस किस्म का कंद काफी ठोस होता है और इसका गूदा क्रीमी रंग का होता है। इस किस्म की उपज 165-170 दिन में मिल सकती है और प्रति हेक्टेयर 130-140 क्विंटल उत्पादन देती है।

टाइप 56-4 किस्म-  पंजाब कृषि विश्वविधालय ने हुसन टाइप 56-4 किस्म विकसित की है। इस लहसुन की गांठें छोटी और सफेद होती हैं। इस किस्म में 25 से 34 कलियां हैं। यह प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल की उत्कृष्ट उपज देता है।

जी 282 किस्म- इस किस्म की लहसुन काफी सफेद रंग की होती है, जिसके गांठे बड़े-बड़े होते हैं. 282 किस्मों से किसान प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल उत्पादन कर सकते हैं। खेत में 140 से 145 दिन में यह किस्म पककर तैयार हो जाती है। 

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सोलन किस्म - हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने सोलन किस्म का लहसुन बनाया है। इस प्रकार की लहसुन बहुत मोटी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सोलन लहसुन की किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादकता देती है।

एग्रीफाउंड सफेद (जी-41)-  इस किस्म की लहसुन के कंद में 20-25 कलिया होती हैं। यह खेत में 160-165 दिन में तैयार होकर बेचने के लिए तैयार हो जाती है। लहसुन की एग्रीफाउंड सफेद (जी-41) से किसान प्रति हेक्टेयर 125-130 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।